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‘3 पर सियासत गरमार्इ
लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा के द्वारा उठाए गए सबसे अहम मुददों में से एक कालेधन के मुददे पर आखिरकार सरकार ने कालाधन धारकों के नाम जारी कर दिए। 100 दिन के अंदर देश में कालाधन वापस लाने का वादा करने वाली मोदी सरकार ने 3 खातेदारों के नाम जारी किए। सुप्रीमकोर्ट को दिए हलफनामे में सरकार ने 3 खाताधारकों के नाम दिए जिसमें डाबर ग्रुप के पूर्व डायरेक्टर प्रदीप बर्मन, राजकोट के मशहूर बुलियन शेयर कारोबारी पंकज चमनलाल लोढि़या, गोवा की खनन कारोबारी राधा टिम्बलो और उनके परिवार के 5 सदस्यों के नाम सामने आए हैं। मीडिया रिपोर्टस के अनुसार यह सभी अपने उपर लगे आरोपों को सिरे से खारिज करने की कोशिश कर रहे हैं। डाबर कंपनी की ओर से सफार्इ यह आ रही है कि प्रदीप बर्मन का खाता कानूनी रूप से खोला गया है। उनके अनुसार जिस समय यह खाता खोला गया, उस समय बर्मन एन.आर.आर्इ. थे। वहीं पंकज लोढि़या का कहना है कि उनका विदेशों में कोर्इ खाता ही नहीं है। राधा टिम्बलो ने भी अपने उपर लगे आरोपों के बाद कहा कि मैं पूरी जानकारी हो जाने के बाद ही इस पर बयान दूंगी। प्रश्न यह उठता है कि जब एच.एस.बी.सी. बैंक द्वारा सरकार को 628 नाम मिले हैं तो 3 नाम ही क्यों सामने लाए गए हैं? खैर, सरकार द्वारा दिए गए हलफनामे में पैसों की कोर्इ जानकारी तो नहीं है लेकिन इन तीनों ही कारोबारियों पर टैक्स की चोरी का आरोप है। आयकर कानून की धारा 276 सी ;1द्ध और 277 के तहत इन पर मुकदमा दर्ज किया जाएगा। अब इन तीन नामों पर कानूनी प्रकि्रया शुुरू की जाएगी लेकिन सवाल यह है कि क्या इस कार्रवार्इ से विदेशों में जमा काला धन देश में वापस लाया जा सकेगा? अब जनता यह भी जानना चाहेगी कि वह बड़े नाम कब सामने आएंगें जिनके बारे में यह कहा जाता है कि उन्होंने करोड़ों रुपये की धनराशि अवैध रुप से विदेशी बैंकों में जमा कर रखी है।
इस घटना के बाद से सियासी गलियारों में आरोप प्रत्यारोप का दौर भी शुरू हो गया है। कांग्रेस के लोगों का कहना है कि यह जनता के साथ किया गया मजाक है और कालेधन को लेकर भाजपा गंभीर ही नहीं है। कालेधन के मामले पर सरकार उतनी सकि्रयता नहीं दिखा रही है जैसा कि उसने वायदा किया था। वहीं दूसरी ओर, भाजपा के अंदर ही अंतर्कलह मची हुर्इ है। कालेधन के मामले पर अग्रणी रहे जाने माने वकील रामजेठमलानी का कहना है कि सरकार द्वारा जारी किए गए तीन नाम खोदा पहाड़, निकली चुहिया जैसी सिथति को दर्शाते हैं। पार्टी के ही सीनियर नेता सुब्रमण्यम स्वामी के मुताबिक सारे नाम सार्वजनिक किए जाने पर कानूनी रूप से किसी प्रकार की कोर्इ अड़चन नहीं है। उनके अनुसार सरकार द्वारा सारे नाम सार्वजनिक ना किए जाने के पीछे की सरकार की मंशा का पता नहीं है। इस बाबत, चौतरफा ओर से घिरती दिख रही मोदी सरकार के नेताओं का कहना है कि कानून के दायरे में रहकर ही नामों की घोषणा सार्वजनिक की जाएगी।
वहीं केंद्र सरकार की यह भी दलील है कि नाम छुपाने की कोर्इ मंशा नहीं है। धीरे धीरे सारे नामों की घोषणा की जाएगी लेकिन इसमें थोड़ा वक्त लगेगा। इसके साथ साथ विदेशी सरकार से हुए करार का भी ध्यान रखा जाएगा। आने वाले समय में आयकर कानून के तहत जांच होने के बाद ही और नामों का खुलासा होगा।
दूसरी तरफ, एलेक्शन वाच संस्था ए.डी.आर.;एसोशियेशन फार डेमोके्रटिक राइटसद्ध ने भी ताजे आंकडें़ जारी कर चौंकाने वाली जानकारी दी है। उनके मुताबिक टिम्बलो कंपनी ने साल 2004 से 2012 तक कांग्रेस को 65 लाख रुपये का चंदा दिया था तो वहीं भाजपा को भी चंदे के रुप में 1.18 करोड़ की राशि दी गर्इ है। यह आंकडे़ इसलिए भी चौंकाने वाले हैं क्योंकि जिस टिम्बलो ग्रुप के खिलाफ मोदी सरकार ने कालेधन को रखने का आरोप लगाया है, वह भाजपा को भी चंदा देती रही है।
खैर, अब आने वाले समय में देखना दिलचस्प होगा कि और कौन-कौन से नाम सामने आते हैं। बेहतर यही होगा कि काले धन की तह तक जाने के लिए कुछ नए विकल्प तलाशे जाएं क्योंकि सबको यही लग रहा है कि मौजूदा तौर तरीकों से कालेधन की पूरी सच्चार्इ सामने आने वाली नहीं है।
-कोणार्क रतन
मो.न.-09839400057
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